Google Chrome को लेकर तूफान: Perplexity AI का बड़ा ऐलान

एक चौंकाने वाली बोली जिसने Google Chrome के लिए दुनिया का ध्यान खींचा

कल्पना कीजिए, एक 3 साल पुरानी स्टार्टअप कंपनी, जिसकी खुद की वैल्यूएशन $18 बिलियन है, अचानक दुनिया के सबसे लोकप्रिय ब्राउज़र Google Chrome को खरीदने के लिए $34.5 बिलियन (₹3,30,2152 करोड़) का ऑफर रख दे! यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। भारतीय मूल के सीईओ अरविंद श्रीनिवास की कंपनी Perplexity AI ने यह ऐतिहासिक बोली लगाई है, जिससे AI और सर्च इंजन की दुनिया में एक नया युद्ध छिड़ गया है।

Google Chrome आज 3.45 बिलियन से अधिक यूजर्स के साथ दुनिया का सबसे प्रभावशाली ब्राउज़र है13। इसे खरीदने का मतलब है—इंटरनेट की रीढ़ पर कब्जा करना। लेकिन क्या यह डील हो पाएगी? और अगर हो गई, तो आपके ब्राउज़िंग अनुभव पर क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए, इसकी पूरी कहानी समझते हैं।

1. Google Chrome, Perplexity AI की कहानी: एक स्टार्टअप से लेकर टेक दिग्गजों को चुनौती देने तक

कंपनी की शुरुआत और विज़न

Perplexity AI की स्थापना 2022 में हुई थी। अरविंद श्रीनिवास, जिन्होंने IIT मद्रास और बर्कले से पढ़ाई की और OpenAI व Google Brain जैसी जगहों पर काम किया, ने इस कंपनी को “उत्तर देने वाला सर्च इंजन” बनाने का सपना देखा। यह प्लेटफ़ॉर्म रियल-टाइम डेटा और भरोसेमंद स्रोतों के साथ यूज़र्स को सवालों के सीधे, सटीक और संदर्भयुक्त जवाब देता है।

तेज़ी से बढ़ता मूल्यांकन

2025 के मध्य तक Perplexity का मूल्यांकन 18 अरब डॉलर तक पहुँच गया। हाल ही में कंपनी ने अपना AI-पावर्ड ब्राउज़र Comet लॉन्च किया, जिसे Chrome और पारंपरिक ब्राउज़रों के विकल्प के रूप में पेश किया गया।

2. आखिर Google Chrome ही क्यों?

Google Chrome दुनिया का सबसे लोकप्रिय ब्राउज़र है, जिसके 3 अरब से ज्यादा यूज़र्स हैं। यह न सिर्फ ब्राउज़िंग का टूल है, बल्कि अरबों लोगों के लिए इंटरनेट का मुख्य दरवाज़ा है।

वर्तमान में Google अमेरिका के न्याय विभाग (DoJ) के एंटी-ट्रस्ट केस का सामना कर रहा है, जिसमें उस पर सर्च और ब्राउज़र मार्केट में अपनी पकड़ का दुरुपयोग करने का आरोप है। अगर कोर्ट Google को Chrome बेचने का आदेश देता है, तो Perplexity के लिए यह सुनहरा मौका होगा।

Perplexity ने न सिर्फ Chrome खरीदने की पेशकश की है, बल्कि यह वादा भी किया है कि Chromium को ओपन-सोर्स रखा जाएगा, Google को डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाए रखा जाएगा और अगले दो सालों में 3 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा।

3. इस डील के पीछे की रणनीति

कारणमहत्व
यूज़र बेसChrome के 3 अरब यूज़र्स का सीधा एक्सेस, जिससे Perplexity अपने AI फीचर्स को तुरंत बड़े स्तर पर पहुंचा सकती है।
ब्रांड वैल्यूChrome जैसा भरोसेमंद और जाना-पहचाना ब्रांड हासिल करना, जिससे यूज़र ट्रांज़िशन आसान होगा।
कानूनी अवसरDoJ के आदेश से Chrome का मालिकाना बदलना पड़े तो Perplexity के लिए यह कानूनी रूप से आसान रास्ता है।
AI इंटीग्रेशनब्राउज़र में सीधे AI फीचर्स जोड़कर यूज़र्स को एक नया अनुभव देना।
मार्केट पोज़िशनGoogle और OpenAI जैसे दिग्गजों के सामने खुद को बराबरी का खिलाड़ी साबित करना।

4. Perplexity का Comet ब्राउज़र: Chrome के भविष्य की झलक

Comet ब्राउज़र सिर्फ वेब पेज खोलने का टूल नहीं है, बल्कि यह AI से लैस एक वर्चुअल असिस्टेंट की तरह काम करता है। यह आर्टिकल्स का सारांश बनाता है, ईमेल ड्राफ्ट करता है और कंटेंट जनरेट करता है।

अगर Perplexity को Chrome मिल जाता है, तो यह इन फीचर्स को सीधे दुनिया के सबसे लोकप्रिय ब्राउज़र में जोड़ सकता है। इसका मतलब होगा—इंटरनेट यूज़ करने का तरीका पूरी तरह बदल जाना।

5. प्रतिस्पर्धा: OpenAI और Yahoo भी मैदान में

Perplexity अकेला नहीं है जो Chrome पर नज़र गड़ाए बैठा है।

  • OpenAI ने भी संकेत दिया है कि अगर Chrome बिक्री के लिए आता है तो वह इसमें दिलचस्पी रखेगा।
  • Yahoo भी इस रेस में है, हालांकि उसकी ताकत और रणनीति पर संदेह है।

इससे साफ है कि Chrome केवल एक ब्राउज़र नहीं, बल्कि AI और सर्च मार्केट में अगली जंग का केंद्र है।

6. व्यक्तिगत दृष्टिकोण: Chrome क्यों है गेम-चेंजर

मेरे नजरिए से, यह डील टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में आने वाले बदलाव का संकेत है।

पहले ब्राउज़र सिर्फ वेबसाइट खोलने के लिए होते थे। अब AI के ज़रिए वे हमारे लिए सोचने, लिखने और तय करने का काम भी करेंगे। Chrome जैसे ब्राउज़र में AI का इंटीग्रेशन इंटरनेट के इस्तेमाल का अनुभव 10 गुना तेज़, स्मार्ट और पर्सनल बना सकता है।

क्या Chrome का मालिक बदलेगा?

Perplexity का 34.5 अरब डॉलर का ऑफर सिर्फ एक बिज़नेस डील नहीं, बल्कि यह संदेश है कि AI अब इंटरनेट का भविष्य तय करेगा।

Google Chrome का मालिकाना बदलना आसान नहीं होगा—Google के पास इसे रोकने के कानूनी और तकनीकी दोनों तरीके हैं। लेकिन अगर यह डील सफल होती है, तो यह आने वाले दशक की सबसे बड़ी तकनीकी डील में से एक होगी।

निष्कर्ष: AI युद्ध का नया अध्याय

Google Chrome सिर्फ एक ब्राउज़र नहीं, बल्कि इंटरनेट की सत्ता का प्रतीक है। Perplexity AI की यह बोली न सिर्फ एक कंपनी की महत्वाकांक्षा दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि AI और सर्च इंजन की लड़ाई अब ब्राउज़र तक पहुंच चुकी है।

अगले कुछ हफ्तों में कोर्ट का फैसला आ सकता है, जो तय करेगा कि क्या Google को Chrome बेचना पड़ेगा। अगर ऐसा होता है, तो हम एक नए डिजिटल युग में प्रवेश करेंगे—जहां AI कंपनियां सीधे यूजर्स तक पहुंचने के लिए ब्राउज़र्स को नियंत्रित करने लगेंगी।

कॉल-टू-एक्शन

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